मेरे इस 'शायराना' ब्लॉग पर मैं..'मनोज 'मानस रूमानी' इस नाम से मेरी शायरी लिख रहां हूँ! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
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मौसम की बेरुख़ी!
अब तक हम थें जिन्होनें वक़्त पर कुछ नहीं किया अब मौसम भी हैं बिगड़ें बेवक़्त बरसने लगी वर्षा कड़ी धुप पड़ती बारिश में कभी जाड़ों में गर्म हवा! ग़र हम सब वक़्त पर करें मौसम भी हमें देंगे सदा!
- मनोज 'मानस रूमानी'
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सेक्युलर इंडिया की शान थे आप 'मिसाइल मैन' जाने जाते थे आप उभरते वैज्ञानिकों की प्रेरणा थे आप बच्चे-युवा सभी के आदर्श थे आप! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के पूर्व राष्ट्रपति 'भारतरत्न' डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी के जनमदिन पर उन्हें सलाम करते मैंने यह लिखा!)
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