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Showing posts from September, 2021
सूरज़ डूबता समंदर का नज़ारा इंतज़ार है बस मेरे चाँद का.! 🎑 - मनोज 'मानस रूमानी'
अवसरवादी धुरंधरों की 'घडी' कैसी भी घूमेगी सत्ता के लिए बगैर 'हाथ' केसरियाँ भी होगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
आक्रस्ताळेपणा करीत करीत शिवराळ 'नटसम्राट' बनला 'सगळं करून' भागला नि समाज कार्याला लागला! - मनोज 'मानस रूमानी '
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गान सरस्वती के दरबार में जीवन का एक सुनहरा पल अपनापन से हुई सुरीली बातें जीवन संगीत से भरी महफ़िल - मनोज 'मानस रूमानी' (स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी को ९२ वे जनमदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए, मेरी उनसे हुई यादगार मुलाक़ात याद आई!)
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नज़रिया! नज़र झुकाकर हलकी सी मुस्कान से सामने से ग़र वो गुजरे तो है इक़रार! नहीं तो मुंह मोड़ कर अपनी धुन में दूर से ही वो चल दिए तो ना इक़रार! होता हुस्नवालों का यूँ अंदाज़-ए-बयां फिर भी प्यार करनेवालें चाह्ते इज़हार! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ हैं! दिल में अब भी है शमा आप के लिए फिर आके इसे रोशन आप कीजिए दिल-नशीं हो इस अंजुमन की आप नूर-ए-हुस्न से अब रौनक बढ़ाइये दिलबर रही हो इस जान की आप समां के तस्कीन-ए-दिल कीजिए दिल शगुफ़्ता होगा हमारा 'मानस' प्यार से अपने इसे आबाद कीजिए - मनोज 'मानस रूमानी'
बेवज़ह रूठना फ़ितरत है हुस्नवालों की ग़लतफ़हमी या फ़िक्र होती ज़माने की! - मनोज 'मानस रूमानी'
मोहब्बत में सब जहाँ प्यारा लगता 💟 नहीं तो कुछ भी गवांरा नहीं लगता 😑 - मनोज 'मानस रूमानी'
प्यार करनेवालों का धर्म-जात हैं प्यार 💖 समझे इस ग़ुरूर में उन्हें रौंदनेवालें लोग! - मनोज 'मानस रूमानी'
यह है उसका नूर-ए-नफ़ासत 💗 जो लाए गुलशन में नज़ाकत 🏡 - मनोज 'मानस रूमानी'
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तसव्वुर-ए-जानाँ! उम्र के हर मोड़ पर.. रूबरू हुएं हसीन रुख़ नासमझ उम्र में कभी महज आकर्षण था वह जवानी की दहलीज़ पर कभी था पहला प्यार वह सयाने शायद जब कभी हुए रहे ढूंढ़ते दिलकश प्यार वह इल्म-ओ-अदब की शान में नज़रअंदाज़ हुआ प्यार वह शग़ल की मसरूफ़ियत में कहीं खो सा गया प्यार वह समझे ज़िंदगी की शाम में.. छूटा सच्चा रूहानी प्यार वह - मनोज 'मानस रूमानी'
यह शायद है उसका नूर-ए-हुस्न 🌻 जिसके दीदार के लिए है मुश्ताक़ 💜 - मनोज 'मानस रूमानी'
बहती रहें सब भाषाओँ की धाराएं.. करती रहें भाईचारा-प्यार की बातें! - मनोज 'मानस रूमानी'
अब क्या बयाँ करे हाल-ए-दिल बेहतर है महफ़िल से हूँ रुख़सत - मनोज 'मानस रूमानी'
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    जज़बात, प्यार में परेशान होता है संभाल के रखना इसे दिल कहते है   - मनोज 'मानस रूमानी'
बेवजह रूठना फ़ितरत होती है हुस्नवालों की तो मनाना चाहत रहती प्यार करनेवालों की! - मनोज 'मानस रूमानी'
समाँ रंगीन करो विज्ञान के गुब्बारों से 🎈 ना कि मैला करो दकियानूसी पाखंड से! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हुस्न-ओ-इश्क़ के अलावा भी बहुत कुछ है बाकी दुनिया में! रंज-ए-फ़ुर्क़त-ए-यार हसीं से दर्द-ए-दिल और है दुनिया में! - मनोज 'मानस रूमानी'
हबाब की तरह गुम हो जातें हैं 💧 ख़्वाब जो कभी संजोयें होतें हैं 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
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We can see the world.. in the droplets on petals of rose a beautiful world of love! - Manoj 'manas roomani'   (The Haiku)
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मुख़्तलिफ़ बादलों से गुजरते.. जैसे दीदार-ए-चाँद होता रहता! आजकल कई चिलमनों से आते.. वह रुख़-ए-महताब भी हैं दिखता! - मनोज 'मानस रूमानी'
फूलों के गुलदस्तें थे उस के सामने.. देखकर उनसे हसीं फूल मायूस लगे! - मनोज 'मानस रूमानी'
तसव्वुर में वह अक्सर आते ना जाने कब दीदार हो जाये - मनोज 'मानस रूमानी'
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मौसम-ए-बहार का असर यूँ रहता.. खिलखिलाता बाग़-ए-हुस्न हैं होता दामन-ए-गुल चूमता रहता भँवरा.. इश्क़ का ख़ुमार ही ऐसा छाया होता - मनोज 'मानस रूमानी'
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रूमानी होता है यूँ सितंबर.. पर कोई न चाहे सितमग़र! मिले सभी को हसीं दिलबर.. बने जो हमनफ़स, हमसफ़र! - मनोज 'मानस रूमानी'
टीचर्स डे पर... ज़िंदगी बस सिखाती जा रही है उस पर अमल नहीं कर पा रहें! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ मुश्क़िल मोड़ है ज़िन्दगी के बस आरज़ू यहीं मंज़िल तो हसीन मिले - मनोज 'मानस रूमानी'
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ख़याल-ए-दिल! कुछ कह नहीं सकतें दिल का कैसे खिले..किस पर आ जाए जज़्बों का दर्द कितना सहेगा.. या बंद करे अचानक धड़कना! - मनोज 'मानस रूमानी'
मिली ज़िंदगी पर ग़ुरूर ठीक नहीं कभी भी ज़िंदगी करवट ले लेंगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़मीर इंसान का बहुत अहमियत हैं रखता स्वाभिमान से समझौता करके नहीं रहना! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ लहरों का समंदर है इश्क़ प्यार का जुनून हो तो मिलतें हैं दिल - मनोज 'मानस रूमानी'
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Romantic September is here.. Lovely nature and atmosphere! Forget tensions and leave hate.. Let us make love & spread love.! - Manoj 'manas roomani'