कभी यूँ बैठें थे दीवान-ए-ख़ास में.. जैसे की बैठें हो दीवान-ए-आम में! - मनोज 'मानस रूमानी' (हाल ही में आगरा किले के इस ऐतिहासिक जगह हुए कार्यक्रम के मद्देनज़र, हमारी बहुत साल पुरानी याद!)
इसी दिन इस हसीन का जन्नत से तशरीफ़ लाना शायद इस जहान को ख़ूबसूरत रूमानी करना था! - मनोज 'मानस रूमानी' (अपने भारतीय सिनेमा की 'मलिका-ए-हुस्न' मुमताज जहां..मधुबाला की याद..उनकी ९० वी यौम-ए-पैदाइश पर!)
भाग्यशाली मी! गान सरस्वती यांच्या दरबारात.. जीवनातील असा हा सोनेरी क्षण! आपलेपणाने झालेली सुरीली बात, जीवन संगीताने भारावलेला क्षण! - मनोज 'मानस रूमानी' (माझा 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक 'स्वरसम्राज्ञी' लता मंगेशकर जी यांना दाखवल्यावर, कौतुकाने त्या पाहतानाचा सोनेरी क्षण आठवत.. त्यांस प्रथम स्मृतिदिनी माझी ही विनम्र शब्द सुमनांजली!) - मनोज कुलकर्णी