मेरे इस 'शायराना' ब्लॉग पर मैं..'मनोज 'मानस रूमानी' इस नाम से मेरी शायरी लिख रहां हूँ! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
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आज़ाद घूमते रहतें हैं वे कभी वहां तो कभी यहाँ सरहदें तो ज़मीन पर हैं खुला आसमाँ हैं उनका!
- मनोज 'मानस रूमानी'
(आज के 'विश्व प्रवासी पक्षी दिन' पर यह लिखा!)
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'शायर-ए- महफ़िल' से सम्मानित! आदाब/नमस्कार! आपको यह जानकारी देते हुए ख़ुशी होती है कि, हाल ही में मुझे 'अंजुमन' की जानिब से (हिंदी-उर्दू काव्य में उत्कृष्टता के लिए) 'शायर-ए-महफ़िल' ख़िताब से नवाज़ा गया! 'अंजुमन' की चौथी वर्षगांठ पर पुणे में आयोजित समारोह में मान्यवर शायर श्री. असलम हसन जी के हाथों से यह पुरस्कार मुझे दिया गया! इस लिए 'अंजुमन' के अध्यक्ष श्री. महेश बजाज (शायर अंजुम लखनवी) जी का मै शुक्रगुज़ार हूँ! - मनोज कुलकर्णी (मानस रूमानी)
सेक्युलर इंडिया की शान थे आप 'मिसाइल मैन' जाने जाते थे आप उभरते वैज्ञानिकों की प्रेरणा थे आप बच्चे-युवा सभी के आदर्श थे आप! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के पूर्व राष्ट्रपति 'भारतरत्न' डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी के जनमदिन पर उन्हें सलाम करते मैंने यह लिखा!)
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