आज़ाद घूमते रहतें हैं वे
कभी वहां तो कभी यहाँ
सरहदें तो ज़मीन पर हैं
खुला आसमाँ हैं उनका!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(आज के 'विश्व प्रवासी पक्षी दिन' पर यह लिखा!)

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