ज़ीनत थी यहाँ बाग़-ए-हुस्न की
दिल लुभाने वाली थी तबस्सुम आप की
मुमताज़ आप अब जन्नत की!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(मधुबाला की इस रंगीन हसीन गिफ इमेज देख कर मैंने यह हाइकु लिखी!) 

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