वह नर्गिस ही थी यहाँ अदाकारी के चमन में
आसमाँ में चाँद को भी जिससे प्यार हुआ है!

- मनोज 'मानस रूमानी'

अपने भारतीय सिनेमा का यादगार और मेरा पसंदीदा स्वप्नदृश्य 'आवारा' (१९५१) से..आज फिर से याद आया ख़ूबसूरत नर्गिस के जनमदिन पर!

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