माना की हूर हो आसमाँ से आयी..
माना की नूऱ हो रोशन-ए-शबाब की
बरक़त है इस जहाँ-ए-आशिक़ी की..
गर हो इनायत इस जहाँ-ए-हुस्न की

- मनोज 'मानस रूमानी'

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