पैसा, शोहरत के पीछे भागती यह दुनियाँ
इंसान, प्यार भूलती जा रही है यह दुनियाँ

- मनोज 'मानस रूमानी'

दीवानगी यहाँ ख़ूबसूरती की जिसे है कुछ ही उम्र
अहमियत नहीं यहाँ हुनर की जो की रहेगा ताउम्र

- मनोज 'मानस रूमानी'

 (आज संत कबीर दास जी की जयंती पर उन्हें नमन करके मैंने ये दोहें लिखें हैं!)

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