संभालना लाल गुलाब जी जान से..
अपना जब करता हैं नज़र प्यार में  
पंखुड़ियाँ इसकी ग़र भूल से गिरे...
तो लगतें हैं दिल के बिखरे टुकड़ें! 

- मनोज 'मानस रूमानी'

Comments

Popular posts from this blog