वह फूलों का दुपट्टा लपेटे है 
या नर्गिस को फूल समेटे है!
शरमाया उसमें हसीन रुख़ है 
या चाँदनियों से घिरा चाँद है!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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