माना हूर हो आसमान से आयी 
माना नूऱ हो रोशन-ए-हुस्न की!
अगर इनायत हो जाए शबाब की 
तो बरक़त है आशिक़-ए-जहाँ की!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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