ईद के वक़्त लिखा..
कहते इंतज़ार-ए-चाँद ऐसा है..
जैसे कोई अपने मेहबूब का करे!
हमारी मुबाऱकबाद कबूल कर ले
चाँद रात के खूब शबाब के लिए!
- मनोज 'मानस रूमानी'
कहते इंतज़ार-ए-चाँद ऐसा है..
जैसे कोई अपने मेहबूब का करे!
हमारी मुबाऱकबाद कबूल कर ले
चाँद रात के खूब शबाब के लिए!
- मनोज 'मानस रूमानी'
Comments
Post a Comment