आदाब अर्ज़ हैं!
नज़ाकत और नफ़ासत का लाजवाब मंजर हैं ये
हसीन रुख़-ए-महताब के नूऱ की इस चमक में
फ़ुरक़त का दर्द बयां करतीं हैं ख़ूबसूरत आँखें
गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठ हैं प्यार समेटें!
- मनोज 'मानस रूमानी'
(फ़ेवरेट ख़ूबसूरत सोनम कपूर की इस क्लासिक फ़्रेम पर मैंने यह लिखा हैं!)
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