मोहब्बत के नाम पर सरल ग़ज़ल लिख़ने की मेरी यह क़ोशिश हैं..
इंतज़ार-ए-इश्क़!
ऐ मोहब्बत तू मिलेंगी फिर ये हमें हैं यक़ीन
ज़िंदगी हमारी होंगी हसीन ये हमें हैं यक़ीन
यूँ तो दीदार-ए-हुस्न हर मोड़ पर हुआ हमें
अब एहसास-ए-इश्क़ होगा ये हमें हैं यक़ीन
छूट गया था हमसे हसीन लम्हा ज़िंदगी में
इज़हार-ए-इश्क़ का पा लेंगे ये हमें हैं यक़ीन
वाक़िफ़ हैं हुस्न-ओ-इश्क़ से ख़ूब हम 'मानस'
जीत ही लेंगे प्यार की मंज़िल ये हमें हैं यक़ीन
- मनोज 'मानस रूमानी'
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