रिश्ता अनमोल दोस्ती का!

मिलता हैं ज़माने में दोस्त मुश्क़िल से..
संभालना होता है उसे दिल-ओ-जान से!

ख़ुशियों में होते हैं जो साथ
दुख में लेते हैं मुँह फेर
आता हैं ऐसा वक़्त जब
साथ होता हैं सिर्फ़ दोस्त

होता है ज़माने में रिश्ता ऐसा अनमोल।

ना ये देखे जात-धर्म
ना इसमें कोई राजा-रंक
हैं इसमें सिर्फ़ दोनों इंसान
होतें हैं जिनके एक जज़्बात

होता है ज़माने में रिश्ता ऐसा अनमोल।

होता हैं कभी बेवफ़ा प्यार
चल देता हैं छोड़कर साथ
संभालता हैं तब अपना दिल
दोस्त जो निभाता हैं साथ

होता है ज़माने में रिश्ता ऐसा अनमोल

है जरुरी ज़िंदगी में हमसफ़र
मुश्क़िल हैं बिना उसके सफ़र
दोस्त बनता हैं ऐसा हमराह
साथ ना छूटे उसका उम्रभर

होता है ज़माने में रिश्ता ऐसा अनमोल

- मनोज 'मानस रूमानी'


(आज के 'फ़्रेंडशिप डे' पर मैंने लिखा यह दोस्ती का नग़्मा आशा हैं आपको पसंद आएं!)

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