हो कोई हमदम या हमराह या यूँही दोस्त.. आनेवाला साल ख़ैरियत के साथ मुबारक़! - मनोज 'मानस रूमानी'
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अभी खिल के महक रही थी ख़ूबसूरत कली अचानक कैसी आँधी आई कि वो टूट गयी! - मनोज 'मानस रूमानी' ('कलर्स' चैनल पर ऐतिहासिक धारावाहिक 'चक्रवर्ती अशोक' में राजकुमारी की भूमिका निभाई थी..कमसिन ख़ूबसूरत टुनिशा शर्मा ने!..और जल्द ही टेलीविज़न तथा सिनेमा की दुनिया में चमकने लगी! उसका अचानक इस दुनिया से जाना बड़ा ही दुखदायक है।..उसे सुमनांजलि!)
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यह नया दौर हैं और एक 'नया दौर' तब भी था अब न वो दौर-ए-ज़िंदगी, न तहज़ीब, न रुतबा - मनोज 'मानस रूमानी' (अपने भारतीय सिनेमा के दिग्गज फ़िल्मकार बी. आर. चोपड़ा जी का आज १४ वा स्मृतिदिन और अपने अदाकारी के शहंशाह यूसुफ ख़ान याने दिलीपकुमार जी पिछले साल गुजर गए। उनकी पुरानी क्लासिक फ़िल्म 'नया दौर' (१९५७) की पचासवीं वर्षगांठ पर उसकी रंगीन फ़िल्म के प्रदर्शन समय उनकी ली गई यह यादगार तस्वीर!) 🙏🙏
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क्रांति..हरदम जरुरी! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. धर्म-जात के परे देखने के लिए इंसानियत ही मजहब के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. दबी आवाज़ उठाने के लिए, दबे जीवन को उभरने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. अपने वजूद के लिए, अपना हक़ पाने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. समानता लाने के लिए, सबके सम्मान के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. खुली साँस लेने के लिए, पसंदीदा जीने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. ज़िंदगी सुधारने के लिए, उसमे अर्थ लाने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. अभिव्यक्त होने के लिए, कला के सृजन के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. प्रेम से जीने के लिए, गले मिलने के लिए! - मनोज 'मानस रूमानी' ('अगस्त क्रांति दिन' के अवसर पर लिखा!)
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MISSING LOVE! I was shy..could not express love.. Your looking at me was expressive! That our Love..always kept quiet.. You left my world..without hope.! I realized now..it's difficult to live.. In this world..without your love.! - Manoj 'manas roomani' (On birth anniversary of romantic Russian poet Pushkin,..I wrote this verse!)
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बाबासाहब जैसे चलो!! धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र का मार्ग उन्होंने दिखाया छूत-अछुत और अमीर-गरीब का भेद मिटाया समान न्याय, मानवतावाद का सन्देश दिया..! लेकिन न मिटे कोई भेद, ना हटी कोई दूरियाँ रोटी, कपड़ा और मकान का संघर्ष जारी रहा.. उनके नाम का उपयोग राजनीति के लिए हुआ! - मनोज 'मानस रूमानी' ('भारतरत्न' संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की १३१ वी जयंती पर अभिवादन करते हुए!)
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SPRING SECLUSION! Oh Daffodil, They says 'Spring is here' Then why this despair? Oh Daffodil, Like remembering beloved, Is this your seclusion? Oh Daffodil, Let us bloom again.. New Love is waiting! - Manoj 'manas roomani' (I just wrote this poem on the occasion of birth anniversary of romantic poet William Wordsworth!)