आदाब अर्ज़ है!

हर दिल अज़ीज़ हो गई
आप अपनी अदाओं से!

हमारे अल्फ़ाज़ भी अब
आपका ही ज़िक्र चाहतें!

फ़िक्र हैं इस दिल की
मोहब्बत न कर बैठें!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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