एक माशूक़ा की याद लिए 'देवदास' हुए
तो दूसरे अपनी मोहब्बत में 'प्यासा' रहे
ज़माने की ठोकर खाएं ये प्यार के मारें..
आख़री दम तक दर्द-ए-फ़ुर्क़त पीतें गएँ!
- मनोज 'मानस रूमानी'
(अपने भारतीय सिनेमा के मेरे दो अज़ीज़ लाजवाब अदाकार..
यूसुफ़ ख़ान याने दिलीप कुमार साहब जो हाल ही में गुज़र गए,
और गुरुदत्त साहब जिनका आज ९६ वा जनमदिन!
उनको याद करतें!!)
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