वोह हसीन चेहरा और ख़ूबसूरत आँखे अक्सर आते हैं ख़्वाब-ओ-ख़यालों में! - मनोज 'मानस रूमानी'
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मेरी पहली रुबाई! यह रुबाई नज़र कर रहा हूँ किसी ज़माने की अच्छी सहेली को..जो हमेशा साथ रहेती थी..लेकिन मैं ही उसके जज़्बात समझ नहीं सका! अब काश वह यह जान ले!... हमसफ़र ! हमको वह कहते है की 'अब हमसफ़र बनाओ किसीको!' अब उनको यह कैसे कहे की 'बनाना तो था आप ही को!' दिमाख कोशिश करता है काबू करने जज़्बात-ए-दिल को लेकिन दिल है के ज़ेवर की तरह संभाल के रखा है उनको! - मनोज 'मानस रूमानी'
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पैग़ाम! होली मुबाऱक सरहद पार भी दिखायी दी धर्म-निरपेक्षता की बात वहां भी गूँजी.. शायरी, रफ़ी आवाज़ की चाहत भी सुनी अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही ! भाईचारा, मोहब्बत की बात भा गयी इंतज़ार है यह दिलों का मिलन ही.. मिटा दे इस-उस पार की दूरी भी.. अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही ! एक है जड़, ज़ुबान संस्कृति हमारी दुनियाँ में मिसालें है फिर जुड़ने की.. काश यह ख़्वाब हो जाए हक़ीक़त भी अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही! - मनोज 'मानस रूमानी'